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देश की प्रगति और विकास के लिए अहम निर्णय सभी लोग मिल-जुलकर नहीं ले सकते है, इसलिए प्रतिनिधि चुनने के लिए चुनाव का आयोजन किया जाता है | aam chunav kise khte hai madhya vidhi chunav kya hai भारत में चुनाव की प्रक्रिया आम चुनाव और मध्यवर्ती चुनाव भारतीय संविधान के अंतर्गत चुनाव प्रक्रिया आम चुनाव और मध्यवर्ती चुनाव किसे कहते है
आम चुनाव और मध्यवर्ती चुनाव
भारतीय संविधान के अंतर्गत भारत में चुनावों का आयोजन भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा किया जाता है। देश में निवास करनें वाले नागरिक अपनें कर्तव्यों का पालन करते हुए सरकार बनानें हेतु मतदान करते है| भारतीय लोकतंत्र को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहा जाता है। वर्तमान में भारत की जनसँख्या लगभग 130 करोड़ है, और देश की प्रगति और विकास के लिए अहम निर्णय सभी लोग मिल-जुलकर नहीं ले सकते है, इसलिए प्रतिनिधि चुनने के लिए चुनाव का आयोजन किया जाता है | यही प्रतिनिधि जीतने के बाद संसद, विधानसभा में बैठकर जनता की तरफ से निर्णय लेते हैं | आम चुनाव और मध्यवर्ती चुनाव किसे कहते है और यह चुनाव कैसे होता है, इसके बारें में आपको यहाँ विस्तार से जानकारी दे रहे है|

भारत में चुनाव की प्रक्रिया (Election Process In India)
भारत एक लोकतान्त्रिक देश है, मुख्य रूप से यहाँ प्रत्येक पांच वर्ष में चुनाव होता है और सरकार का गठन बहुमत के आधार पर होता है| विभिन्न राज्यों में सरकार गठन होने वाले चुनावों को विधानसभा चुनाव तथा केंद्र सरकार के गठन के लिए होने वाले चुनाव को लोकसभा चुनाव कहते हैं|
विधान सभा के चुनाव में मुख्य रूप से क्षेत्रीय पार्टियां चुनाव लड़ती है| विधान सभा में शामिल होने वाली जनता द्वारा चयनित प्रतिनिधियों को विधायक तथा लोकसभा के चुने गये जनप्रतिनिधियों को सांसद कहते हैं
आम चुनाव (General Election)
एक निश्चित समय के अनुसार होने वाले इलेक्शन को आम चुनाव कहते है | चुनाव अथवा निर्वाचन लोकतंत्र की एक अहम् प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से देश में निवास करनें वाली जनता अपने पसंदीदा प्रतिनिधियों का चयन करती है । विधायिका के विभिन्न पदों पर आसीन होने के लिये व्यक्तियों का चयन निर्वाचन के माध्यम से किया जाता हैं। चुनाव द्वारा क्षेत्रीय एवं स्थानीय निकायों के लिये भी व्यक्तिओं का चुनाव होता है। लोकसभा के 543 निर्वाचित सदस्यों को एकल-सदस्यीय निर्वाचन क्षेत्रों से प्रतिनिधियों का चयन मतदान द्वारा किया जाता है|
मध्यवर्ती चुनाव (Intermediate Election)
मध्यावधि चुनाव से तात्पर्य एक ऐसे चुनाव से है, वर्तमान में जिस पार्टी कि सरकार बनी हुई है, और किसी कारणवश वह सरकार अपना निर्धारित कार्यकाल पूरा नहीं कर पाती है और कोई दूसरा राजनैतिक दल भी सरकार बनानें में पूर्ण रूप से सक्षम नहीं है, ऐसी स्थिति में होनें वाले चुनाव को मध्यवर्ती चुनाव कहते है| जो पार्टी सत्ता में है, उसके द्वारा अपना निर्धारित कार्यकाल पूरा न कर पानें के अनेको कारण हो सकते है, जैसे – जब कोई निश्चित सदस्य अपना पद त्याग देता है, जब कभी मंत्रीगण किसी पार्टी से अपना त्याग पत्र देते हैं, वर्तमान पद पर नियुक्त व्यक्ति द्वारा त्यागपत्र देने या आकस्मिक मृत्यु हो जानें पर आदि|
भारतीय संविधान के अंतर्गत चुनाव प्रक्रिया (Election Process Under Indian Constitution)
भारतीय संविधान के भाग 15 में अनुच्छेद 324 से अनुच्छेद 329 तक निर्वाचन की व्याख्या की गई है। अनुच्छेद 324 निर्वाचनों का अधीक्षण, निदेशन और नियंत्रण का निर्वाचन आयोग में निहित होना बताता है। संविधान ने अनुच्छेद 324 में ही निर्वाचन आयोग को चुनाव संपन्न कराने की जिम्मेदारी दी गयी है।
भारत में निवास करनें वाली जनता द्वारा चयनित प्रतिनिधियों से मिलकर लोकसभा बनी होती है, जिन्हें वयस्क मताधिकार के आधार पर प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा चुना जाता है। संविधान में उल्लिखित सदन की अधिकतम क्षमता 552 सदस्यों की है, जिनमें 530 सदस्य राज्यों का व 20 सदस्य केंद्रशासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व करते हैं और 2 सदस्यों को एंग्लो-भारतीय समुदायों के प्रतिनिधित्व के लिए राष्ट्रपति द्वारा नामांकित किया जाता है।
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद वर्ष 1952 में देश में पहली बार लोकसभा का गठन हुआ था| जिसमें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 364 सीटों के साथ पहले लोकसभा चुनावों के बाद सत्ता में आई, उस समय पूरे भारत में 44.87 प्रतिशत की चुनावी भागीदारी दर्ज की गई और पंडित जवाहरलाल नेहरू नें देश के प्रथम निर्वाचित प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की थी| उनकी पार्टी ने 75.99% मत प्राप्त किया था| 17 अप्रैल 1952 को गठित हुई लोकसभा ने अपना कार्यकाल 4 अप्रैल 1957 तक का पूरा किया था।