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जी-7 (Group of Seven)
कोरोना महामारी के चलते राष्ट्रपति ट्रंप ने जी-7 की होने वाली बैठक को टाल दिया है। 46वें जी-7 शिखर सम्मेलन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से 10 जून से 12 जून तक आयोजित किया जाना था, जो अब सितंबर तक टल गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विकसित देशों के समूह जी-7 (G-7) के सदस्य देशों का विस्तार किये जानें के संकेत दिए है| अब इसमें भारत का नाम शामिल होनें की संभावना है, जो कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के लिए यह बहुत ही अहम है। इस मंच के माध्यम से अब भारत की साझेदारी विकसित देशों के साथ होगी। इससे वैश्विक स्तर पर भारत का दबदबा भी बढ़ेगा। यह भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत है। ऐसे में आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि आखिर यह जी-7 सम्मेलन क्या है, इसके सदस्य देश कौन-कौन ? तो आईये जानते है जी-7 के बारें में|
जी-7 क्या है (What is Group of Seven)
जी-7 दुनिया के सात सबसे विकसित और औद्योगिक महाशक्तियों का संगठन है| इसे ग्रुप ऑफ 7 (Group of Seven) भी कहते हैं। इसमें कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली,जापान, ब्रिटेन और अमरीका शामिल हैं। यह समूह लोकतांत्रिक मूल्यों में आस्था रखता है, स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की सुरक्षा, लोकतंत्र और कानून का शासन और समृद्धि एवं सतत विकास, इसके प्रमुख सिद्धांत हैं।
प्रारंभ में इसमें सदस्य देशों की संख्या 6 थी, इसकी पहली बैठक वर्ष 1975 में हुई थी। वर्ष 1976 में कनाडा इस समूह का सदस्य बन गया। इसस तरह यह जी-7 बन गया। जी-7 देशों के मंत्री और नौकरशाह आपसी हितों के मामलों पर विचार विमर्श करने के लिए हर वर्ष मिलते हैं। शिखर सम्मेलन में अन्य देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों को भी भाग लेने के लिए आमंत्रित किया जाता है।
जी-7 के सदस्य देश (G7 member Countries)
जी-7 के सदस्य देश कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली,जापान, ब्रिटेन और अमरीका है | मार्च 2014 में रूस को G8 देशों के समूह से निलंबित कर दिया गया था |
चीन G7 का हिस्सा क्यों नहीं है (China Is Not Part Of G7)
चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवथा है, फिर भी जी7 का हिस्सा नहीं है| इसका कारण यह है, कि चीन की आबादी सबसे अधिक है और प्रति व्यक्ति आय संपत्ति जी7 देशों के मुकाबले बहुत कम है, ऐसे में चीन को उन्नत या विकसित अर्थव्यवस्था नहीं माना जाता है|
G7 की आवश्यकता (G7 Required)
विश्व के कई देशो को 70 के दशक में आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था, जिसमे पहला- तेल संकट और दूसरा- फिक्स्ड करेंसी एक्सचेंज रेट्स के सिस्टम का ब्रेक डाउन| वर्ष 1975 में जी6 की पहली बैठक आयोजित की गई, जहां इन आर्थिक समस्याओं के संभावित समाधानों पर विचार किया गया| सदस्य देशों ने अंतरराष्ट्रीय आर्थिक नीति पर समझौता किया और वैश्विक आर्थिक मंदी से निपटने के लिए समाधान निकाले|
G7 का महत्त्व (Importance Of G7)
G-7 के देश विश्व की अर्थव्यवस्था के साथ ग्लोबल नेट वर्थ (वैश्विक शुद्ध संपत्ति 317 ट्रिलियन डॉलर) में 58% से अधिक का योगदान करते है साथ ही वह विश्व की कुल GDP की 32% का प्रतिनिधित्व करता है | इसलिए संगठन विश्व की राजनीति में बहुत ही महत्त्व रखता है | जी-7 शामिल देश प्रति वर्ष अपने अधिवेशन में अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को भी आमंत्रित करते है | इन संगठनों के साथ विस्तार पूर्वक चर्चा की जाती है और वर्त्तमान समस्याओं का हल निकाला जाता है |