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इंडियन आर्मी में पद और रैंक
भारतीय सेना को दुनिया की सबसे ताकतवर सेनाओं में गिना जाता है| दुनिया में इंडियन आर्मी का चौथा स्थान है। भारतीय सेना सदेव देश की रक्षा के लिए तैयार रहती है। भारतीय सेना में एक्टिव पर्सनल की संख्या लगभग 1325000 और रिजर्व पसर्नल की संख्या 2143000 है। जिस प्रकार किसी कंपनी या संस्थान में अलग- अलग रैंक के आधार पर अधिकारी और कर्मचारी नियुक्त होते है, उसी प्रकार भारतीय सेना में भी सैन्यकर्मियों के अलग- अलग पद होते है, इनके बीच का फर्क इनकी बैज को देखकर लगाया जा सकता है। इंडियन आर्मी में कुल 19 रैंक होती हैं, इनमें से 9 रैंक ऑफिसर्स की होती है। तो आईये जानते है, कि इंडियन आर्मी में पद और रैंक के बारे में |
इंडियन आर्मी में पद और रैंक (Indian Army Post & Rank)
फील्ड मार्शल (Field Marshal)
भारतीय थल सेना में फील्ड मार्शल एक फाइव स्टार रैंक होती है। आर्मी में फील्ड मार्शल पद समाप्त कर दिया गया है। यह किसी नियमित अधिकारी को नहीं दिया जाता है, यह पद किसी अधिकारी ने युद्ध या किसी ऑपरेशन में सर्वोच्च प्रदर्शन किया हो तो उसे दी जाती है| अभी तक यह रैंक सिर्फ दो अधिकारियों को के एम करिअप्पा और सैम मानेकशॉ को दी गयी है|
जनरल (General)
आधिकारिक तौर पर जनरल भारतीय सेना का सबसे ऊंचा रैंक है। इसे कमांडर-इन-चीफ और सेनाध्यक्ष भी कहा जाता है। वर्तमान में जनरल बिपिन रावत इस पद पर कार्यरत हैं। जनरल का रैंक 4-स्टार रैंक होता है और उनकी वर्दी की कॉलर पर भी 4-स्टार लगे होते हैं। जनरल का कार्यकाल तीन साल का होता है और उनका पद कैबिनेट सेक्रेटरी के बराबर होता है।
लेफ्टिनेंट जनरल (Lieutenant General)
लेफ्टिनेंट जनरल भारतीय आर्मी में दूसरा सर्वोच्च पद होता है। जनरल के बाद का रैंक लेफ्टिनेंट जनरल का होता है, जो 3-स्टार ऑफिसर होता है। इस रैंक के लिए ऑफिसर के पास 36 साल की कमीशंड सर्विस की योग्यता होना जरूरी है। इंडियन आर्मी में अलग-अलग कमांड के कमांडिग ऑफिसर भी इसी रैंक में आते हैं। साथ ही आर्मी के डिप्टी चीफ का रैंक भी इसी के अंतर्गत ही आता है।
मेजर जनरल (Major General)
लेफ्टिनेंट जनरल के बाद के अधिकारी मेजर जनरल होते है| मेजर जनरल का पद भारतीय सेना में नेवी के रियर एडमिरल और एयर फोर्स के एवीएम की रैंक के बराबर होता है| मेजर जनरल पद पर कमीशंड सर्विस के आधार पर नियुक्ति की जाती है|
ब्रिगेडियर (Brigadier)
ब्रिगेडियर मेजर जनरल के नीचे की रैंक होती है. पूरे एक बिग्रेड को संभालने की जिम्मेदारी एक ब्रिगेडियर की ही होती है । ब्रिगेडियर 1-स्टार रैंक अधिकारी होते है, ब्रिगेडियर के रैंक में प्रमोशन सेलेक्शन के आधार पर होता है। इसके लिए ऑफिसर के पास 25 वर्षों की कमीशंड सर्विस की योग्यता होना जरूरी होती है। ब्रिगेडियर की वर्दी पर तीन स्टार और एक अशोक स्तंभ लगा होता है|
कर्नल (Colonel)
भारतीय सेना में कर्नल की वर्दी के कंधों पर एक अशोक चिन्ह और 2 स्टार होते हैं। सेना में सीधे कमीशन प्राप्त करने वाले अधिकारी अगर पर्मनेंट कमीशन प्राप्त करते हैं, और वह कर्नल के रैंक तक प्रमोशन के माध्यम से पहुंचते हैं। .कर्नल रैंक में सेलेक्शन के लिए 15 वर्षों की कमीशंड सर्विस की योग्यता जरूरी होती है। इस रैंक के प्रमोशन के लिए ऑफिसर का 26 वर्षों का इंतजार भी करना पड़ता है।
लेफ्टिनेंट कर्नल (Lieutenant Colonel)
भारतीय सेना मे लेफ्टिनेंट कर्नल की वर्दी में एक 5 स्टार के बीच अशोक चिन्ह बना होता है। इंडियन आर्मी में लेफ्टिनेंट कर्नल के पद को ऑफिसर के लिए उसके सीनियर होने की पहली सीढ़ी के रुप में देखा जाता है। इस रैंक को प्राप्त करने के लिए 13 साल की सेवा करना अनिवार्य होता है।
मेजर (Major)
मेजर रैंक के अधिकारी की वर्दी एक अशोक स्तंभ लगा होता है. वहीं मेजर पद पर 2 साल की सेवा के बाद प्रमोशन किया जा सकता है.
कैप्टन (Captain)
मेजर से नीचे का पद कैप्टन का होता है| भारतीय सेना में मेजर एक महत्वपूर्ण पद है, क्योंकि किसी भी ऑफिसर को छह सालों की सर्विस के बाद यह रैंक हासिल होता है। इस रैंक के अधिकारी के कंधे पर अशोक चिन्ह होता है।
लेफ्टिनेंट (Lieutenant)
यह भारतीय सेना में शुरुआती कमीशन्ड रैंक होती है| आईएमए, ओटीए जैसी अकादमियों में ट्रेनिंग के बाद जब युवा अधिकारी पास आउट होते है तो वह लेफ्टिनेंट ही बनते हैं, इसके बाद उनका प्रमोशन होता है, लेफ्टिनेंट की वर्दी पर दो स्टार लगे होते है|
सूबेदार मेजर (Subedar Major)
लेफ्टिनेंट से नीचे के पद जॉइंट कमीशंड ऑफिसर में गिने जाते है| जॉइट कमीशंड ऑफिसर्स में सूबेदार मेजर का पद सबसे बड़ा होता है. सुबेदार मेजर की वर्दी पर एक अशोक स्तंभ के साथ 2 लाल पट्टी के बीच एक पीली पट्टी होती है|
नायब सूबेदार (Naib Subedar)
नायब सूबेदार का पद सूबेदार के बाद आता है| नायब सूबेदार की वर्दी पर एक स्टार और लाल-पीली रंग की पट्टी होती है|
हवलदार (Sergeant)
इस रैंक के अधिकारी आमतौर पर 26 साल की सेवा के बाद रिटायर होते है, यदि उन्हें इस दौरान जेसीओ रैंक पर प्रमोशन न मिलने पर |
नाइक (Naik)
इन अधिकारियों की वर्दी के बाजू पर दो वी-शेप की पट्टियां होती है|
लांस नाइक (Lance Naik)
इस रैंक के अधिकारी की वर्दी की बाजू पर 1 वी शेप पट्टी होती है|
सिपाही (Soldier)
सेना में रैली के जरिए सीधे भर्ती होने वाले शख्स की तैनाती शुरुआत में इसी रैंक पर होती है| नॉन कमीशंड ऑफिसर की श्रेणी में हवलदार, नायक और लांस नायक आते हैं। इनके रिटायरमेंट की अधिकतम उम्रसीमा 26 वर्ष और न्यूनतम 22 वर्ष है।